Backराष्ट्रीय कौशल विकास के अंतर्गत पशुपालन उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान अविकानगर की एचआरडी, एग्री बिज़नेस इंक्यूबशन सेंटर एवं केड फाउंडेशन उदयपुर द्वारा 'व्यवसायिक भेड़-बकरी एवं खरगोश पालन' पर दो सात दिवसीय आवास
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के संस्थान केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान,अविकानगर तहसील-मालपुरा जिला-टोंक (राजस्थान) मे केड फाउंडेशन उदयपुर व एग्री बिजनेस इनक्यूबेटर सेंटर के संयुक्त तत्वाधान मे द्वितीय बैच ओर एचआरडी अविकानगर द्वारा तृतीय बैच के माध्यम से सात दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम ( 6 जून से 13 जून,2023) की अध्यक्षता डॉ अरुण कुमार तोमर ओर विशिष्ट अतिथि के रूप में निदेशक केड फाउंडेशन उदयपुर श्रीमान मुकेश सुथार, श्रीमान आईबी कुमार मुख्य प्रशासनिक अधिकारी एवं पशु पोषण विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ रणधीर सिंह भट्ट की उपस्थिति में किया गया l अविकानगर संस्थान में 'व्यवसायिक ओर वैज्ञानिक भेड़-बकरी और खरगोश पालन' प्रशिक्षण कार्यक्रम के दोनों बैच के समन्वयक डॉ. सुरेश चन्द शर्मा एवं डॉ अजीत सिंह महला द्वारा बताया गया कि उपरोक्त दोनों प्रशिक्षण कार्यक्रम में कुल 66 प्रशिक्षणार्थी भाग ले रहे हैं, जो देश के राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा एवं मध्यप्रदेश राज्यों के विभिन्न जिलों से आए हैं l केड फाउंडेशन के निदेशक श्री मुकेश सुथार ने बताया कि संस्थान के एबीआईसी से जुड़ने के बाद संयुक्त तत्वाधान में द्वितीय बैच का सात दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में शुरुआत के 5 दिन का प्रशिक्षण कार्यक्रम उदयपुर में संपन्न किया गया l जिसमें कृषि एवं पशुपालन विशेषज्ञों द्वारा लेक्चर्स उदयपुर मे आयोजित किए गए एवं साथ में संभाग स्तर के पशु चिकित्सालय उदयपुर मे प्रायोगिक एवं व्याख्यान के माध्यम से किसानों को अनुभव करवाया गया l अंतिम के दो दिन का प्रशिक्षण कार्यक्रम केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान में एग्री बिजनेस इनक्यूबेटर सेंटर के माध्यम से आयोजित किया जा रहा है l दोनों संस्थान के एमओयू होने के बाद यह द्वितीय किसानों का प्रशिक्षण कार्यक्रम संयुक्त तत्वाधान मे आयोजित किया जा रहा है l दोनों प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपस्थित 66 प्रशिक्षणार्थियों से प्रशिक्षण के बारे में फीडबैक लिया गया, सभी ने रहने-खाने एवं प्रशिक्षण के माध्यम से अनेक जानकारियां प्राप्त करने के बारे में बताया l तथा प्रशिक्षण मे भाग लेने वाले सभी प्रशिक्षणार्थियों ने निदेशक से उन्नत नस्ल के पशुओं एवं तकनीक उपलब्ध कराने के लिए निवेदन किया गया l
कार्यक्रम समापन के अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ अरुण कुमार तोमर ने प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए बताया कि वर्तमान में आत्मनिर्भर भारत में भेड़-बकरी व खरगोश के पालन करके आप अपनी आजीविका कमा कर साथ मे देश के लोगो क़ो भी रोजगार दे सकते हैं l पशुपालन में सबसे महत्वपूर्ण पहलू स्वास्थ्य प्रबंधन होता है भेड़ एवं बकरी का स्वास्थ्य प्रबंधन के बारे में विस्तार से टीकाकरण एवं आदि आवश्यक जानकारियां अविकानगर संस्थान द्वारा किसानों के लिए हेल्थ कैलेंडर, द्वारा उपलब्ध कराई जाती है l डॉ तोमर ने निवेदन किया कि आप संस्थान की उन्नत तकनीकी एवं उन्नत जर्मप्लाज्म का अपने फार्म पर बढ़ाकर अच्छे पशु के मल्टीप्लेयर केंद्र के रूप में पहचान बनाकर किसानों तक पहुंचा सकते हैं l मेरा अविकानगर संस्थान अकेला पूरे भारत के किसानों तक नहीं पहुंच सकता, लेकिन आप के माध्यम से आप संस्थान के प्रचारक एवं उन्नत नस्ल के पशुओं के वितरण केंद्र के रूप में संस्थान की तकनीकयों को अपना कर अपने जन्मभूमि मे जाकर इनको अन्य किसानों के साथ साझा करकेआगे बढ़ा सकते हैं l वर्तमान में व्यवसायिक ओर वैज्ञानिक भेड़-बकरी पालन सार्वजनिक चरागहो के अभाव में स्टॉल फीडिंग विधि से किया जाने लगा है जिसमे बाड़े पर ही जानवर का उचित पोषण प्रबंधन, चारा प्रबंधन, आवास प्रबंधन, स्वास्थ्य प्रबंधन एवं विभिन्न मौसम आधारित सावधानियों ध्यान रखते हुए अधिकतम उत्पादन लिया जा सकता है l
डॉ. तोमर ने बताया कि पशु छोटा जरूर है लेकिन इनकी देश के लोगो क़ो आर्थिक रूप से सशक्तिकरण करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है l जिसका सबसे बड़ा उदाहरण दक्षिण भारतीय राज्य है जो राजस्थान के लोगों की कहावत की कभी राजस्थान का किसान कभी अकाल के समय सुसाइड नहीं करता क्योंकि वह कम से कम संसाधनों में पलने वाले छोटे पशु भेड़ बकरी का पालन करके मुश्किल समय में भी अपना गुजारा कर सकता है l इसी कहावत को ध्यान में रखते हुए दक्षिण भारतीय राज्य तेलंगाना,आंध्रप्रदेश, कर्नाटक व अन्य में भेड़ बकरी पालन ने बहुत बड़े स्तर पर व्यवसायिक रूप ले लिया है l भेड़ व बकरी का पालन कम से कम संसाधनों में करके आजकल अधिकतम उत्पादन लिया जा सकता है l डॉ तोमर ने उम्मीद जताई कि निश्चित ही आपने सात एवं दो दिन में भेड़ और बकरी पालन के बारे में कुछ जानकारियां यहां से अवश्य ही ग्रहण की होगी l वह आपके पहले से मौजूद ज्ञान में अगर इनको ओर शामिल कर लिया जाए, तो निश्चित ही आने वाले समय में आपका भेड़- बकरी व खरगोश के पालन में सुधार देखने को मिलेगा l तथा निदेशक ने निवेदन किया कि राष्ट्रीय पशुधन मिशन के द्वारा आप भेड़-बकरी और मुर्गी पालन के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा जारी सब्सिडी प्राप्त कर छोटे स्तर पर 25 से 50 पशुओं का व्यवसाय शुरू कर सकते हैं l ओर धीरे धीरे से इससे अपने व्यवसाय को पशुपालन उद्यमिता की ओर ले जा सकते हैं l पशुपालन के क्षेत्र में आप उनके बाजार तक ले जाने के लिए आपको सहकारी संस्थाओं का निर्माण करें l जिससे पशु उत्पादन से उपभोक्ता तक की सारी प्रक्रिया में आप स्वयं रहें ताकि इसका अधिकतम कमाई की जा सके l क्योंकि मेरा मानना है जितने भी कृषि एवं पशुपालन आधारित स्टार्टअप हैं वह इसलिए मुनाफे में क्योंकि उन्होंने उत्पादन से उपभोक्ता तक की सारी वितरण अपने हाथों में ले रखी है l पशु पोषण विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ रणधीर सिंह भट्ट ने बताया कि पशुओं के पोषण प्रबंधन से समान इनपुट एवं पर्यावरण में भेड़ देश मे बकरी की उपेक्षा ज्यादा वजन प्राप्त किया जा सकता है l
डॉ भट्ट ने बताया कि भविष्य में निश्चित ही आप किसानों का अविकानगर संस्थान में स्ववित्तपोषित प्रशिक्षण कार्यक्रम की ओर बढ़ती रुचि को देखकर लगता है कि आने वाले समय में भेड़ और बकरी पालन से देश में मांस की पैदावार क़ो बढ़ा कर कमी क़ो पूरा किया जा सकता है l प्रशिक्षण समापन के अवसर पर सभी प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्रों का वितरण कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों द्वारा किया गया l प्रशिक्षण कार्यक्रम के सह- समन्वयक डॉ लीलाराम गुर्जर, डॉ अमर सिंह मीना एवं डॉ अरविन्द सोनी, पशु कार्यकी एवं जैव रसायन विभाग के प्रभारी विभागाध्यक्ष डॉ राघवेंद्र सिंह, पशु स्वास्थ्य विभाग के कार्यकारी विभागअध्यक्ष डॉ फैज अहमद खान, केड फाउंडेशन उदयपुर से नरेश विश्नोई, श्रीमती देबमिता गुप्ता आदि द्वारा भी प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान पूरा पूरा सहयोग किया गया l प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन में कार्यक्रम का संचालन डॉ. लीलाराम गुर्जर एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ अमर सिंह मीना द्वारा दिया गया l अविकानगर संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं पीआरओ डॉ अमरसिंह मीना ने कार्यक्रम समापन की जानकारी शेयर की गई l
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