हर वर्ष की भांति विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) के अवसर पर केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान अविकानगर के हिंदी अनुभाग के द्वारा पर्यावरण दिवस के महत्व पर हिंदी संगोष्ठी का आयोजन किया गया l संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. सुरेशचंद शर्मा ने "हमारी भूमि -हमारा भविष्य" नारे के तहत "भूमि पुनर्स्थापन, मरुस्थलीकरण और सुखा सहनशीलता" विषय पर संस्थान के समस्त वैज्ञानिकों/अधिकारियों एवं कर्मचारियों को विस्तृत व्याख्यान दिया गया l डॉ सुरेश चंद शर्मा ने बताया कि पृथ्वी पर पौधों का होना अतिआवश्यक है, वर्तमान समय में दुनिया में बढ़ता हुआ शहरीकरण, औद्योगीकरण एवं प्रकृति के प्रति लोगों की जागरूकता में कमी के कारण दिन पर दिन ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याएं लगातार बढ़ती जा रही है।इन सबको रोकने के लिए हर वर्ष हम अधिक से अधिक पेड़ अपने आसपास सार्वजनिक जगह पर लगाए ओर उनको जीवित बड़े पोधे बनने तक देखभाल करें जिससे भविष्य में आने वाली समस्याओं को रोका जा सके।आज के इस व्याख्यान का यही उद्देश्य है कि आप अपने परिवार में, अपने आसपास के लोगों को पेड़ पौधों के महत्व एवं उनकी निरंतरता बनाए रखने के लिए जागरूक करेंl और अपने आसपास अधिक से अधिक पेड़ लगाये l
निदेशक डॉ अरुण कुमार तोमर द्वारा संस्थान के हर्बल गार्डन में शहतूत के पौधों का पौधारोपण सुबह संस्थान के समस्त कर्मचारियों की उपस्थिति में किया गया एवम हर्बल गार्डन के आसपास झाड़ियां को हटाकर उन पर आने वाली वर्षा सीजन मे अच्छे से चारागाह की स्थापना के लिए सफाई अभियान चलाकर अच्छा चारा स्थापना पर जोर दिया गया l निदेशक ने इस अवसर पर पेड़ों का महत्व एवं पेड़ पौधे सभी के लिए बहुत जरूरी बतायाl तथा उन्होंने संस्थान में एचडीएफसी बैंक के द्वारा 50000 से अधिक पौधों के पौधारोपण के बारे में विस्तार से चर्चा कीl उन्होंने बताया कि जहां पर पेड़ पौधों की अधिकता होती है वहां पर प्रकृति संतुलित रहती है एवं भगवान का भी निवास होता हैl हिंदी संगोष्ठी कार्यक्रम में कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद प्रस्ताव मुख्य प्रशासनिक अधिकारी श्रीमान इंद्रभूषण कुमार द्वारा दिया गया l हिंदी अधिकारी श्री जेपी मीना द्वारा संगोष्ठी आयोजन मे अपना पुरा सहयोग किया गया lअविकानगर संस्थान के मीडिया प्रभारी डॉ अमरसिंह मीना ने दी जानकारी l